रजिस्ट्री डीड: खरीदने से पहले कानूनी तौर पर क्या जांचें?

रजिस्ट्री डीड: खरीदने से पहले कानूनी तौर पर क्या जांचें?

विषय सूची

भूमि के स्वामित्व की सत्यता जांचना

जब भी आप कोई जमीन या संपत्ति खरीदने का विचार करते हैं, तो सबसे जरूरी है यह जांचना कि विक्रेता के पास उस संपत्ति का वैध स्वामित्व है या नहीं। भारत में भूमि और संपत्ति से जुड़े कागजात अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ मुख्य दस्तावेज पूरे देश में सामान्य रूप से माने जाते हैं। नीचे तालिका में आपको मुख्य रिकॉर्ड्स की जानकारी दी गई है:

दस्तावेज़ का नाम किस लिए जरूरी है? कहाँ मिलेगा?
7/12 Extract (सात बारा उतारा) महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में कृषि भूमि की डिटेल्स के लिए तहसीलदार कार्यालय/ऑनलाइन पोर्टल
RTC (Record of Rights, Tenancy and Crops) कर्नाटक जैसे राज्यों में भूमि अधिकारों और फसलों की जानकारी के लिए राज्य राजस्व विभाग
खतौनी/खसरा उत्तर भारत (जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश) में भूमि स्वामित्व जानने के लिए पटवारी/तहसील कार्यालय
पट्टा दक्षिण भारत में सरकारी जमीन पर कब्जे का प्रमाण पत्र स्थानीय राजस्व विभाग

खरीदारी से पहले यह सुनिश्चित करें कि उपरोक्त किसी भी दस्तावेज़ में विक्रेता का नाम ही मालिक के तौर पर दर्ज है। अगर किसी भी रिकॉर्ड में नाम मेल नहीं खाता या कोई अद्यतन लंबित है, तो अतिरिक्त सतर्कता बरतें। साथ ही पिछले मालिकों, विरासत या ट्रांसफर संबंधी प्रविष्टियाँ भी ध्यान से पढ़ें ताकि भविष्य में कानूनी उलझनों से बचा जा सके। हर राज्य के अपने-अपने नियम और प्रक्रिया होती है, इसलिए स्थानीय वकील या रियल एस्टेट एक्सपर्ट की सलाह लेना भी उपयोगी रहता है।

2. एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट और बकाया का सत्यापन

एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट क्या है?

जब भी आप कोई संपत्ति खरीदने का विचार करते हैं, तो सबसे जरूरी दस्तावेजों में से एक है एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate)। यह सर्टिफिकेट साबित करता है कि उस संपत्ति पर कोई भी ऋण (loan), बंधक (mortgage), या कानूनी विवाद (legal dispute) लंबित नहीं है।

एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है?

भारत में कई बार संपत्तियों पर पुराने कर्ज या कानूनी विवाद छुपाए जा सकते हैं। इसीलिए, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट आपको यह भरोसा देता है कि आपके द्वारा खरीदी जा रही संपत्ति पूरी तरह से साफ-सुथरी है। नीचे एक तालिका दी गई है जो इसके महत्व को सरल भाषा में समझाती है:

कारण महत्व
ऋण/बंधक जांचना यह सुनिश्चित करना कि संपत्ति पर कोई बकाया लोन नहीं है
कानूनी विवाद संपत्ति किसी भी कोर्ट केस या झगड़े में शामिल नहीं है
मालिकाना हक मौजूदा मालिक के पास वैध अधिकार है या नहीं

एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट कैसे प्राप्त करें?

आपको संबंधित उप-रजिस्ट्रार कार्यालय (Sub-Registrar Office) से पिछले 30 वर्षों का एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए। आवेदन के लिए निम्नलिखित डॉक्युमेंट्स की जरूरत होती है:

  • संपत्ति के दस्तावेज (Property Papers)
  • मालिक का नाम और पता (Owner’s Name and Address)
  • आवेदन शुल्क (Application Fee)

प्रक्रिया:

  1. अपने इलाके के उप-रजिस्ट्रार ऑफिस जाएं या राज्य सरकार की ऑनलाइन सेवा पोर्टल पर आवेदन करें।
  2. फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज जमा करें।
  3. शुल्क अदा करने के बाद आपको कुछ दिनों में एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट मिल जाएगा।
ध्यान देने योग्य बातें:
  • हमेशा पिछले 30 वर्षों का रिकॉर्ड जांचें, ताकि पुरानी देनदारियां सामने आ सकें।
  • अगर किसी साल का रिकॉर्ड उपलब्ध न हो, तो स्पष्टता के लिए पूछताछ जरूर करें।
  • एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट में दर्ज सभी लेन-देन को ध्यान से पढ़ें।

इस प्रकार, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट और बकाया का सत्यापन आपको सुरक्षित निवेश करने में मदद करता है और भविष्य की परेशानियों से बचाता है।

संपत्ति के अनुमोदन और ले-आउट की जांच

3. संपत्ति के अनुमोदन और ले-आउट की जांच

संपत्ति खरीदने से पहले अनुमोदन क्यों जरूरी है?

जब आप कोई प्लॉट या फ्लैट खरीदने जा रहे हैं, तो सबसे जरूरी बात यह है कि उस संपत्ति को संबंधित नगर निगम (Municipal Corporation) या स्थानीय विकास प्राधिकरण (Development Authority) से वैध मंजूरी मिली हो। बिना अनुमति के निर्माण या अनाधिकृत ले-आउट भविष्य में कानूनी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

कहाँ-कहाँ से जांच करनी चाहिए?

संस्थान का नाम जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज़ कैसे जांचें?
स्थानीय नगर निगम बिल्डिंग अप्रूवल सर्टिफिकेट, कंप्लीशन सर्टिफिकेट नगर निगम कार्यालय में जाकर या उनकी वेबसाइट पर आवेदन करें
विकास प्राधिकरण (जैसे DDA, LDA, MHADA) ले-आउट प्लान अप्रूवल, प्लॉट रिलीज ऑर्डर प्राधिकरण कार्यालय में दस्तावेजों की कॉपी देखें या ऑनलाइन पोर्टल पर सत्यापन करें
राजस्व विभाग खसरा/ खतौनी, भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र लोकल तहसील या राजस्व विभाग से वेरिफाई करें

अनाधिकृत निर्माण और ग्रामीण पट्टा से सावधान!

भारत में कई बार प्लॉट्स या फ्लैट्स ऐसे क्षेत्रों में बेचे जाते हैं जहाँ निर्माण की अनुमति नहीं होती, या वह जमीन ग्राम सभा/ग्राम पंचायत के अधीन होती है जिसे ग्रामीण पट्टा कहते हैं। इस तरह की संपत्तियां खरीदना कानूनी जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए:

  • किसी भी प्रस्तावित संपत्ति का नक्शा और ले-आउट देखना न भूलें।
  • निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सभी जरूरी मंजूरियों को क्रॉस-चेक करें।
  • अगर बिल्डर है, तो उससे सभी अप्रूवल डाक्यूमेंट्स की कॉपी मांगें।
  • यदि कोई संदेह हो तो किसी रजिस्टर्ड वकील या लीगल एक्सपर्ट से सलाह लें।

नोट:

अनाधिकृत संपत्ति में निवेश करने से भविष्य में विधिक नोटिस, ध्वस्तीकरण (Demolition) या जुर्माने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए हर दस्तावेज़ को ध्यानपूर्वक जाँचें और पूरी पुष्टि के बाद ही संपत्ति खरीदने का निर्णय लें।

4. रजिस्ट्री डीड के ड्राफ्ट का निरीक्षण

जब भी आप कोई संपत्ति खरीदने जा रहे हैं, तो रजिस्ट्री डीड का ड्राफ्ट ध्यानपूर्वक जांचना बेहद जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि दस्तावेज में कोई गलती या कमी नहीं है और आपकी खरीद सुरक्षित है।

रजिस्ट्री डीड की भाषा और शर्तें

डीड आमतौर पर हिंदी या स्थानीय भाषा में होती है। इसमें लिखी गई भाषा स्पष्ट होनी चाहिए ताकि दोनों पक्षों को कोई भ्रम न हो। सभी शर्तें जैसे भुगतान की स्थिति, कब्जा देने की तारीख आदि साफ-साफ लिखी होनी चाहिए।

डीड में दिए गए ब्यौरे जरूर जांचें

रजिस्ट्री डीड में निम्नलिखित जानकारी अवश्य होनी चाहिए:

जानकारी क्या जांचें?
विक्रेता का नाम नाम सही लिखा हो और पहचान पत्र से मेल खाता हो
खसरा नंबर/प्लॉट नंबर संपत्ति के सही विवरण के अनुसार दर्ज हो
क्षेत्रफल (Area) मापक प्रमाणपत्र के अनुसार क्षेत्रफल सही हो
विक्री राशि दोनों पक्षों द्वारा तय की गई अंतिम राशि दर्ज हो
पता व सीमाएं संपत्ति का पता और चारों दिशाओं की सीमाएं साफ हों
कब्जा देने की तिथि साफ-साफ उल्लेखित हो कि कब कब्जा मिलेगा
गवाहों के नाम व हस्ताक्षर दो गवाहों के पूरे नाम और सही हस्ताक्षर होने चाहिए

मूल दस्तावेज अवश्य देखें

कभी भी सिर्फ फोटोकॉपी या स्कैन कॉपी पर भरोसा न करें। विक्रेता से सभी दस्तावेज मूल रूप में देखने को कहें, जैसे – पुरानी रजिस्ट्री, बिजली-पानी के बिल, टैक्स रसीद आदि। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सम्पत्ति असली है और उस पर कोई विवाद नहीं है।
अगर जरूरत लगे तो किसी स्थानीय वकील या संपत्ति विशेषज्ञ से भी डॉक्यूमेंट चेक करा सकते हैं ताकि भविष्य में कोई परेशानी न आए। इस प्रकार पूरी सावधानी बरतकर ही आगे बढ़ें।

5. साक्षी और स्टाम्प शुल्क का अनुपालन

रजिस्ट्री के लिए गवाहों की जरूरत क्यों?

भारत में संपत्ति की रजिस्ट्री करते समय, यह कानूनी रूप से अनिवार्य है कि रजिस्ट्री डीड न्यायालय मान्य दो गवाहों की उपस्थिति में पूरी की जाए। ये गवाह न केवल रजिस्ट्री प्रक्रिया को वैध बनाते हैं, बल्कि भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में साक्षी के रूप में सामने आ सकते हैं। इसलिए, दोनों गवाहों का वयस्क होना और उनका पहचान पत्र साथ लाना जरूरी होता है।

स्टाम्प शुल्क और अन्य शुल्कों का भुगतान

संपत्ति खरीदते समय, आपको राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्टाम्प शुल्क, पंजीकरण शुल्क तथा अन्य टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य है। हर राज्य में यह शुल्क अलग-अलग हो सकता है। नीचे एक उदाहरण तालिका दी गई है:

राज्य स्टाम्प शुल्क (%) पंजीकरण शुल्क (%)
महाराष्ट्र 5% 1%
उत्तर प्रदेश 7% 1%
कर्नाटक 5.6% 1%
दिल्ली 3%-6% 1%

भुगतान कैसे करें?

अब अधिकतर राज्यों में ऑनलाइन स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण फीस जमा करने की सुविधा उपलब्ध है। आपको राज्य सरकार की वेबसाइट या संबंधित ऑफिस में जाकर भुगतान करना होता है। भुगतान के बाद प्राप्त रसीद को रजिस्ट्री के दिन जरूर साथ रखें। यह दस्तावेज आपकी रजिस्ट्री को वैध बनाता है।

जरूरी बातें ध्यान रखें:
  • गवाहों के सभी दस्तावेज सही और अपडेटेड हों।
  • स्टाम्प ड्यूटी और अन्य सभी फीस समय पर भरें ताकि पेनल्टी न लगे।
  • अगर किसी प्रकार की छूट (महिला खरीदार, वरिष्ठ नागरिक आदि) मिलती है तो उसका लाभ उठाएं।
  • रसीद एवं सभी दस्तावेज संभालकर रखें, ये भविष्य में काम आएंगे।