रियल एस्टेट में कानूनी जांच के दौरान ध्यान रखने योग्य मुख्य दस्तावेज

रियल एस्टेट में कानूनी जांच के दौरान ध्यान रखने योग्य मुख्य दस्तावेज

विषय सूची

1. भूमि स्वामित्व के दस्तावेज़

रियल एस्टेट में कानूनी जांच (Legal Due Diligence) के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संपत्ति का असली मालिक कौन है, इसका पता लगाया जाए। इसके लिए भूमि स्वामित्व के मूल दस्तावेज़ों की जांच आवश्यक होती है। भारत में अलग-अलग राज्यों में यह दस्तावेज़ भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ प्रमुख दस्तावेज़ नीचे दिए गए हैं:

दस्तावेज़ का नाम विवरण प्रासंगिकता
सेल डीड (Sale Deed) यह वह कानूनी दस्तावेज़ है जिससे संपत्ति की बिक्री और ट्रांसफर को प्रमाणित किया जाता है। स्वामित्व हस्तांतरण का मुख्य प्रमाण
पट्टा (Patta) राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया भूमि अधिकार पत्र जिसमें मालिक का नाम, भूमि का विवरण और स्थान लिखा होता है। भूमि पर स्वामित्व का कानूनी दस्तावेज़
खतौनी/खसरा यह राजस्व रिकॉर्ड है जिसमें जमीन के टुकड़े, मालिक का नाम और खेती से जुड़ी जानकारी होती है। खासकर उत्तर भारत में प्रचलित। भूमि स्वामित्व और उपयोग की पुष्टि करता है
7/12 उतारा (7/12 Extract) महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में जमीन की जानकारी वाला रिकॉर्ड, जिसमें मालिकाना हक, क्षेत्रफल और उपयोग दर्ज होता है। स्वामित्व एवं कृषि या गैर-कृषि उपयोग की जानकारी देता है
अन्य स्थानीय रिकॉर्ड्स जैसे RTC (Record of Rights, Tenancy and Crops) कर्नाटक में, जमाबंदी पंजिका पंजाब-हरियाणा में आदि। राज्य विशेष के अनुसार संपत्ति की कानूनी स्थिति बताता है

इन दस्तावेज़ों की जांच क्यों जरूरी है?

यदि आप रियल एस्टेट निवेश या खरीदारी कर रहे हैं, तो ऊपर बताए गए सभी दस्तावेज़ यह सुनिश्चित करते हैं कि जिस व्यक्ति से आप संपत्ति ले रहे हैं, वह उसका असली और वैध मालिक है या नहीं। इनकी जांच से फर्जीवाड़े और भविष्य के विवादों से बचा जा सकता है। हमेशा सभी दस्तावेज़ों की सत्यापित कॉपी मांगें और सरकारी पोर्टल्स या लोकल अथॉरिटी से क्रॉस-चेक करें। यदि किसी भी दस्तावेज़ में कोई संदेह हो तो विशेषज्ञ वकील से सलाह अवश्य लें।

2. संपत्ति का विचलन प्रमाण-पत्र (Encumbrance Certificate)

रियल एस्टेट में कानूनी जांच के दौरान संपत्ति का विचलन प्रमाण-पत्र, जिसे इंग्लिश में Encumbrance Certificate कहा जाता है, एक बहुत ही जरूरी दस्तावेज़ है। यह प्रमाण-पत्र यह दिखाता है कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीदना या बेचना चाहते हैं, उस पर कोई भी बकाया कर्जा, ऋण, या अन्य कानूनी दावा तो नहीं है।

विचलन प्रमाण-पत्र क्यों जरूरी है?

जब भी आप किसी प्रॉपर्टी में निवेश करने की सोचते हैं, तो आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि उस पर किसी बैंक या व्यक्ति का कोई बकाया कर्जा या कानूनी विवाद तो नहीं चल रहा। विचलन प्रमाण-पत्र से आपको यह जानकारी मिल जाती है और आप निश्चिंत होकर निवेश कर सकते हैं।

मुख्य जानकारी जो विचलन प्रमाण-पत्र देता है:

जानकारी विवरण
ऋण या कर्जा प्रॉपर्टी पर किसी बैंक या संस्था द्वारा लिया गया लोन दर्ज होता है या नहीं
कानूनी दावे कोई कोर्ट केस, कानूनी विवाद या अन्य क्लेम तो नहीं है
स्वामित्व इतिहास प्रॉपर्टी का पिछला स्वामित्व किसके पास था और ट्रांसफर कैसे हुआ
समय सीमा पिछले 13-30 सालों तक की जानकारी इसमें मिलती है (राज्य के हिसाब से अलग हो सकती है)
यह प्रमाण-पत्र कहां से प्राप्त करें?

Encumbrance Certificate संबंधित राज्य के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से मिलता है। कुछ राज्यों में ऑनलाइन भी आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए आमतौर पर आपको संपत्ति के विवरण और पहचान पत्र लगाना होता है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • हमेशा मूल (Original) विचलन प्रमाण-पत्र मांगें, फोटोकॉपी से काम न चलाएं।
  • यदि प्रमाण-पत्र में किसी तरह का कर्जा या विवाद दर्ज हो, तो उस प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले अच्छे से जांच-पड़ताल करें।
  • अगर सर्टिफिकेट No Encumbrance दिखाता है तो समझिए कि प्रॉपर्टी साफ-सुथरी है और कोई भी बकाया नहीं है।

इस प्रकार, विचलन प्रमाण-पत्र आपकी रियल एस्टेट डील को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाता है, जिससे आगे चलकर आपको किसी भी तरह की कानूनी समस्या का सामना न करना पड़े।

संपत्ति अनुमोदन और अनुमतियाँ

3. संपत्ति अनुमोदन और अनुमतियाँ

जब आप किसी भी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी में निवेश करने जा रहे हैं, तो संपत्ति से जुड़े अनुमोदन और जरूरी अनुमति पत्रों की जाँच करना बेहद आवश्यक है। भारत में नगर निगम, ग्राम पंचायत या राज्य प्रशासन द्वारा कई तरह के दस्तावेज़ जारी किए जाते हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि संपत्ति वैध है और सभी नियमों का पालन किया गया है। नीचे मुख्य अनुमोदन और परमिट्स की सूची दी गई है, जिन्हें आपको कानूनी जांच के दौरान जरूर देखना चाहिए:

महत्वपूर्ण अनुमोदन और परमिट्स

दस्तावेज़ का नाम जारी करने वाला विभाग महत्व
बिल्डिंग प्लान अप्रूवल नगर निगम/स्थानीय प्राधिकरण निर्माण कार्य कानून के अनुसार हो रहा है या नहीं यह सुनिश्चित करता है।
लेआउट प्लान मंजूरी नगर निगम/ग्राम पंचायत/राज्य प्रशासन पूरी संपत्ति का लेआउट प्लान वैध एवं स्वीकृत है या नहीं, इसकी पुष्टि करता है।
NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) विभिन्न सरकारी विभाग जैसे पर्यावरण विभाग, अग्निशमन विभाग आदि यह दिखाता है कि संपत्ति पर किसी भी विभाग को कोई आपत्ति नहीं है।
भूमि उपयोग परिवर्तन प्रमाणपत्र (CLU) राज्य शहरी विकास प्राधिकरण भूमि का उपयोग आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक रूप में बदलने की अनुमति देता है।
संपत्ति टैक्स रसीदें नगरपालिका/पंचायत कार्यालय इससे पता चलता है कि संपत्ति पर कोई बकाया टैक्स नहीं है।

इन दस्तावेज़ों की क्यों करें जाँच?

अगर इन सभी दस्तावेज़ों की सही तरीके से जांच नहीं की गई, तो आगे चलकर कानूनी परेशानी हो सकती है। जैसे बिना बिल्डिंग प्लान अप्रूवल के बने मकानों को अवैध घोषित किया जा सकता है या फिर लेआउट प्लान में गड़बड़ी मिलने पर विकास कार्य रुक सकते हैं। इसीलिए खरीदारी से पहले हर दस्तावेज को ध्यान से पढ़ें और यदि संभव हो तो विशेषज्ञ की मदद लें।

जरूरी सुझाव:

  • हर डॉक्यूमेंट की कॉपी अपने पास जरूर रखें।
  • अगर कोई डॉक्यूमेंट समझ न आए तो स्थानीय वकील या विशेषज्ञ से सलाह लें।
  • सरकारी वेबसाइट या संबंधित विभाग से दस्तावेज़ की सत्यता भी जांचें।

4. मूल विक्रेता की पहचान और अधिकार पत्र

विक्रेता की पहचान के दस्तावेज़ क्यों ज़रूरी हैं?

रियल एस्टेट में कानूनी जांच के दौरान यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप विक्रेता की सही पहचान करें। इससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि संपत्ति का असली मालिक कौन है और उसे बेचने का अधिकार भी उसी के पास है या नहीं।

आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची

दस्तावेज़ का नाम महत्व जाँच प्रक्रिया
आधार कार्ड विक्रेता की पहचान प्रमाणित करता है आधिकारिक वेबसाइट या फिजिकल कॉपी का मिलान करें
पैन कार्ड फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के लिए अनिवार्य नाम और नंबर की सत्यता जांचें
अधिकार पत्र (Title Deed) मालिकाना हक साबित करता है रेजिस्ट्री ऑफिस से सत्यापित करें
पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) अगर कोई प्रतिनिधि संपत्ति बेच रहा है तो जरूरी नोटरी या सब-रजिस्ट्रार से वैधता जांचें

विक्रेता के अधिकार पत्र और पावर ऑफ अटॉर्नी की जाँच कैसे करें?

  • संपत्ति के टाइटल डीड: देखें कि डीड पर सही नाम, रजिस्ट्री नंबर और तारीख अंकित हो। किसी भी तरह की लोन या विवादित सूचना न हो।
  • पावर ऑफ अटॉर्नी: अगर विक्रेता खुद नहीं बल्कि उसका कोई प्रतिनिधि संपत्ति बेच रहा है, तो पावर ऑफ अटॉर्नी डॉक्यूमेंट को नोटरी या सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से वेरिफाई करें। दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से संपत्ति बेचने का अधिकार लिखा होना चाहिए।
  • पहचान पत्रों की पुष्टि: आधार और पैन कार्ड की मूल कॉपी मांगें और उनसे मेल खाते हुए दस्तावेज़ देखें। सरकारी वेबसाइट्स से भी क्रॉस-वेरिफिकेशन कर सकते हैं।

भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शब्द:

  • मूल विक्रेता: वह व्यक्ति जिसके नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड है।
  • अधिकार पत्र: जिस डॉक्यूमेंट से संपत्ति का मालिकाना हक सिद्ध होता है।
  • पावर ऑफ अटॉर्नी: जब मालिक किसी अन्य व्यक्ति को अपने स्थान पर संपत्ति बेचने का अधिकृत अधिकार देता है।
  • ID प्रूफ: आमतौर पर आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि को ID प्रूफ कहा जाता है।

इन सभी दस्तावेज़ों की अच्छी तरह से जाँच करना आपके लिए भविष्य में कानूनी समस्याओं से बचाव के लिए बहुत जरूरी है। सही दस्तावेज़ों के बिना कभी भी रियल एस्टेट डील पूरी न करें।

5. टैक्स रसीदें और भुगतान प्रमाण

रियल एस्टेट में कानूनी जांच के दौरान संपत्ति से जुड़े सभी टैक्स और भुगतान की रसीदों को देखना बहुत जरूरी है। भारत में अलग-अलग राज्यों और नगरपालिकाओं द्वारा संपत्ति पर कई तरह के टैक्स लगाए जाते हैं, जैसे कि संपत्ति कर (Property Tax), जलकर (Water Tax), और अन्य लोकल टैक्स। इन सबकी अद्यतन (अप-टू-डेट) रसीदों की जांच करने से यह सुनिश्चित होता है कि उस संपत्ति पर कोई भी टैक्स बकाया नहीं है। यदि किसी भी प्रकार का टैक्स बकाया है, तो वह आगे चलकर कानूनी परेशानी का कारण बन सकता है। नीचे एक तालिका दी गई है जो मुख्य टैक्स और उनके जरूरी दस्तावेजों की जानकारी देती है:

टैक्स का प्रकार जरूरी दस्तावेज जांचने का कारण
संपत्ति कर (Property Tax) नवीनतम भुगतान रसीद सुनिश्चित करना कि कोई बकाया नहीं है
जलकर (Water Tax) ताजा जलकर बिल या भुगतान प्रमाण पानी की सेवाओं से संबंधित कोई लंबित राशि न हो
अन्य लोकल टैक्स स्थानीय निकाय द्वारा जारी रसीदें अधिकृत निकायों के सभी शुल्क चुकाए गए हैं या नहीं

इन सभी दस्तावेजों को ध्यानपूर्वक जांचना चाहिए। कभी-कभी पुराने मालिक ने कुछ टैक्स नहीं चुकाए होते हैं, ऐसे में नया मालिक जिम्मेदार बन सकता है। इसलिए हमेशा सभी अपडेटेड टैक्स रसीदों और भुगतान प्रमाण पत्र की कॉपी मांगें और उनका मिलान करें। अगर किसी भी दस्तावेज़ में संदेह हो तो संबंधित नगर निगम या प्राधिकरण से पुष्टि करें। इससे भविष्य में आप किसी भी वित्तीय या कानूनी झंझट से बच सकते हैं।