रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कानूनी जांच कैसे करें?

रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कानूनी जांच कैसे करें?

विषय सूची

1. प्रॉपर्टी के स्वामित्व की पुष्टि कैसे करें

मूल मालिक की जानकारी और दस्तावेज़ों की जांच

रीसेल प्रॉपर्टी खरीदते समय सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है कि आप प्रॉपर्टी के असली मालिक का नाम और जरूरी दस्तावेज़ चेक करें। यह प्रक्रिया आपको किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचने में मदद करती है। नीचे दिए गए दस्तावेज़ आमतौर पर स्वामित्व सत्यापित करने के लिए देखे जाते हैं:

दस्तावेज़ का नाम क्या जांचें? क्यों जरूरी है?
बिक्री विलेख (Sale Deed) मालिक का नाम, संपत्ति का पता, पिछले मालिकों की डिटेल्स यह प्रॉपर्टी ट्रांसफर का मुख्य कागज होता है
एनओसी (No Objection Certificate) नगर निगम या सोसाइटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र सुनिश्चित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई विवाद या बकाया नहीं है
लैंड रजिस्ट्रेशन दस्तावेज़ सरकारी रजिस्ट्रेशन ऑफिस से प्राप्त रजिस्ट्री पेपर प्रॉपर्टी सरकारी रिकॉर्ड में पंजीकृत है या नहीं यह दिखाता है

स्थानीय भाषा और कार्यालयों से पुष्टि करना जरूरी

भारत में कई बार दस्तावेज़ स्थानीय भाषा में होते हैं, जैसे हिंदी, मराठी, कन्नड़ आदि। ऐसे में अगर आपको समझने में दिक्कत हो तो किसी लोकल वकील या रियल एस्टेट एक्सपर्ट की मदद लें। साथ ही, सभी दस्तावेज़ संबंधित नगर निगम/रजिस्ट्रार ऑफिस से क्रॉस-चेक जरूर करें। इससे आपको यह पता चलेगा कि प्रॉपर्टी असली मालिक के नाम पर ही दर्ज है या नहीं।

ध्यान रखें:
  • मूल दस्तावेज़ की कॉपी मांगें, फोटोस्टेट या स्कैन की हुई न लें।
  • जरूरत पड़ने पर RTI (Right to Information) के जरिए भी जानकारी निकाल सकते हैं।
  • अगर मालिक एक से ज्यादा हैं तो सभी के दस्तावेज़ देखें और NOC लें।

2. प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद या लोन तो नहीं?

रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि उस संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद, मुकदमा या बैंक लोन तो नहीं चल रहा। भारत में कई बार लोग ऐसी प्रॉपर्टी बेच देते हैं, जिस पर पहले से ही कोई केस या ऋण बकाया होता है। इससे भविष्य में आपको बड़ी परेशानी हो सकती है। इसलिए नीचे बताए गए तरीके अपनाकर आप खुद भी जांच सकते हैं:

भूमि रिकॉर्ड्स की जांच कैसे करें?

प्रत्येक राज्य की सरकार ने भूमि रिकॉर्ड्स (Land Records) ऑनलाइन उपलब्ध कराए हैं। आप अपने राज्य की भूमि रिकॉर्ड्स वेबसाइट पर जाकर संपत्ति के दस्तावेज़ देख सकते हैं। यहां से पता चलता है कि मालिकाना हक सही है या नहीं और क्या जमीन पर किसी तरह का विवाद दर्ज है।

बैंक एनओसी (No Objection Certificate) की जरूरत

अगर प्रॉपर्टी पर किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था का लोन लिया गया है, तो विक्रेता से बैंक की तरफ से जारी NOC जरूर लें। यह प्रमाण पत्र साबित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई बकाया ऋण नहीं है और वह बैंक के द्वारा फ्री कर दी गई है।

बैंक एनओसी में क्या-क्या देखें?

जांच बिंदु महत्व
बैंक का नाम और शाखा यह जानना जरूरी है कि किस बैंक ने लोन दिया था
ऋण राशि और भुगतान स्थिति कुल लोन कितना था और पूरा चुका दिया गया या नहीं
NOC जारी करने की तिथि NOC नई और मान्य होनी चाहिए
प्रॉपर्टी का विवरण NOC में प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी सही-सही होनी चाहिए

जिला अदालत के रिकॉर्ड्स से मुकदमा या विवाद जांचें

आप जिला अदालत (District Court) के ऑनलाइन पोर्टल या रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर पता कर सकते हैं कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीद रहे हैं, उस पर कोई केस, मुकदमा या कोर्ट का स्टे ऑर्डर तो नहीं लगा हुआ। इसके लिए संपत्ति के पते या खाता नंबर से सर्च किया जा सकता है। यह कदम उठाना आपकी सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।

सारांश तालिका: प्रॉपर्टी की कानूनी स्थिति कैसे जांचें?
जांच का तरीका कहाँ जांचें? क्या जानकारी मिलेगी?
भूमि रिकॉर्ड्स देखना राज्य सरकार की भूमि रिकॉर्ड्स वेबसाइट मालिकाना हक, विवाद आदि की जानकारी
बैंक NOC लेना विक्रेता/बैंक शाखा ऋण बकाया है या नहीं, यह पता चलेगा
कोर्ट रिकॉर्ड्स देखना डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पोर्टल/रजिस्ट्रार ऑफिस कोई केस, मुकदमा या स्टे ऑर्डर तो नहीं है?

इन सभी तरीकों को अपनाकर आप रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसकी कानूनी स्थिति को आसानी से जांच सकते हैं।

सेलर का सत्यापन और पहचान

3. सेलर का सत्यापन और पहचान

रीसेल प्रॉपर्टी खरीदते समय सबसे जरूरी है कि आप विक्रेता (सेलर) की सही पहचान और उसके दस्तावेजों की जांच करें। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आप सही व्यक्ति से प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं और भविष्य में कोई कानूनी दिक्कत नहीं आएगी। नीचे दिए गए बिंदुओं पर ध्यान दें:

सेलर के पहचान पत्र का सत्यापन

सेलर के पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि की कॉपी जरूर लें और उनका मिलान करें। इससे आप जान सकते हैं कि जो व्यक्ति खुद को मालिक बता रहा है, वही असली मालिक है या नहीं।

डॉक्यूमेंट क्यों जरूरी है?
आधार कार्ड मूल पहचान और भारतीय नागरिकता प्रमाणित करता है
पैन कार्ड ट्रांजैक्शन में टैक्स से जुड़े मुद्दे सुलझाने के लिए जरूरी
पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंस (यदि उपलब्ध हो) अतिरिक्त पहचान के लिए सहायक

पता प्रमाण की जांच

सेलर का पता प्रमाण जैसे बिजली बिल, वोटर आईडी, पानी का बिल आदि मांगें। इससे विक्रेता का स्थायी पता पता चलता है और डील सुरक्षित रहती है।

संपत्ति के मालिकाना हक की क्लियर चेन देखें

प्रॉपर्टी के सभी पुराने कागजात, म्युटेशन रिकॉर्ड, बिक्री विलेख (Sale Deed), गिफ्ट डीड या वसीयत पत्र (Will) आदि की पूरी चेन जांचना जरूरी है। इससे यह कन्फर्म होता है कि संपत्ति पर किसी और का हक तो नहीं या कोई लीगल विवाद तो नहीं चल रहा।

मालिकाना हक की चेन कैसे देखें?
दस्तावेज़ नाम क्या जांचना चाहिए?
Sale Deed (बिक्री विलेख) क्या यह असली है और रजिस्टर्ड है?
Encumbrance Certificate (ऍनकमब्रेंस सर्टिफिकेट) क्या प्रॉपर्टी पर कोई लोन/कर्जा बकाया तो नहीं?
Mutation Record (म्युटेशन रिकॉर्ड) नाम ट्रांसफर सही तरीके से हुआ या नहीं?
Gift Deed/Will (गिफ्ट डीड/वसीयत) क्या प्रॉपर्टी सही तरीके से ट्रांसफर हुई?

इन सभी दस्तावेजों को अच्छे से जांचकर ही रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने का निर्णय लें ताकि भविष्य में कोई भी कानूनी परेशानी न हो।

4. सोसाइटी/लोकल अथॉरिटी से अनिवार्य प्रमाण पत्र

जब भी आप रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो कानूनी जांच के लिए कुछ जरूरी प्रमाण पत्र लेना बहुत जरूरी है। भारत में यह प्रक्रिया हाउसिंग सोसाइटी, लोकल अथॉरिटी और नगर निगम के नियमों के अनुसार होती है। नीचे दिए गए प्रमाण पत्र और उनके महत्व को समझना आपके लिए आसान होगा:

हाउसिंग सोसाइटी एनओसी (No Objection Certificate)

अगर प्रॉपर्टी किसी हाउसिंग सोसाइटी में है, तो आपको उस सोसाइटी से एनओसी लेना जरूरी होता है। यह सर्टिफिकेट इस बात की पुष्टि करता है कि वर्तमान मालिक का सोसाइटी के साथ कोई बकाया नहीं है और वह प्रॉपर्टी बेचने के लिए अधिकृत है। एनओसी के बिना आगे की रजिस्ट्री या बैंक से लोन लेने में दिक्कत आ सकती है।

एन्कंब्रेंस सर्टिफ़िकेट (Encumbrance Certificate)

एन्कंब्रेंस सर्टिफ़िकेट यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन, बंधक या अन्य कानूनी बाध्यता तो नहीं है। यह सर्टिफिकेट लोकल सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से लिया जाता है। इस डॉक्यूमेंट के बिना खरीदारी करने पर भविष्य में कानूनी विवाद हो सकते हैं।

नगर निगम से अप्रूवल्स

प्रॉपर्टी की वैधता और कानूनी स्थिति को जानने के लिए नगर निगम या लोकल अथॉरिटी से जुड़े अप्रूवल्स जैसे बिल्डिंग प्लान अप्रूवल, ओक्युपेंसी सर्टिफिकेट आदि की जांच करें। इससे पता चलता है कि निर्माण सभी सरकारी नियमों का पालन करते हुए किया गया था या नहीं।

जरूरी प्रमाण पत्र और उनके लाभ

प्रमाण पत्र का नाम कहाँ से मिलेगा महत्व
हाउसिंग सोसाइटी एनओसी सोसाइटी ऑफिस बकाया भुगतान, अधिकृत बिक्री
एन्कंब्रेंस सर्टिफ़िकेट सब-रजिस्ट्रार ऑफिस कोई लोन या कानूनी बाध्यता नहीं
नगर निगम अप्रूवल्स नगर निगम/लोकल अथॉरिटी वैध निर्माण, सरकारी नियमों का पालन
ध्यान रखने योग्य बातें:
  • प्रत्येक प्रमाण पत्र मूल रूप में लें और उसकी कॉपी सुरक्षित रखें।
  • अगर किसी प्रमाण पत्र में कोई गड़बड़ी दिखे तो तुरंत विशेषज्ञ सलाह लें।
  • इन डॉक्यूमेंट्स के बिना आगे चलकर प्रॉपर्टी ट्रांसफर या बैंक लोन में परेशानी हो सकती है।

5. कानूनी सलाहकार या अधिवक्ता से सहायता लेना

रीसेल प्रॉपर्टी खरीदते समय कानूनी जांच बेहद ज़रूरी होती है। भारत में संपत्ति संबंधी कानून और कागजात कई बार जटिल हो सकते हैं, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि आप किसी योग्य अधिवक्ता या प्रॉपर्टी लॉयर से सभी दस्तावेजों की अच्छे से जाँच कराएं ताकि भविष्य में कोई कानूनी परेशानी न हो। एक अनुभवी वकील आपको सही दिशा-निर्देश देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपके द्वारा खरीदी जा रही संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद, बकाया लोन या किसी अन्य प्रकार की रोक नहीं है।

वकील की मदद से किन दस्तावेजों की जाँच करानी चाहिए?

दस्तावेज़ का नाम महत्त्व
सेल डीड (Sale Deed) मालिकाना हक साबित करता है
एनओसी (NOC) बैंक, सोसायटी या नगर निगम से अनुमति
खसरा/खतौनी या 7/12 उतारा भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन
इनकैम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate) कोई बकाया लोन या दावे तो नहीं?
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट निर्माण और उपयोग की वैधता
पिछले टैक्स रसीदें संपत्ति पर कोई बकाया टैक्स नहीं है?

अधिवक्ता से चर्चा करते समय ध्यान रखें:

  • स्थानीय भाषा और रीजन के अनुसार वकील चुनें ताकि वे स्थानीय नियम-कानून समझ सकें।
  • वकील को सभी दस्तावेज़ दिखाएँ और उनसे लिखित रूप में राय लें।
  • यदि कोई दस्तावेज़ अधूरा या संदिग्ध लगे, तो वकील से उसका कारण और समाधान पूछें।
  • प्रॉपर्टी के पिछले मालिकों के ट्रांजैक्शन भी चेक करवाएँ।
भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली कानूनी सेवाएं:
  • स्टैम्प पेपर वैरिफिकेशन: स्टैम्प ड्यूटी सही तरह से चुकाई गई है या नहीं, इसकी जांच।
  • लीगल ओपिनियन रिपोर्ट: वकील द्वारा सम्पूर्ण दस्तावेजों का अध्ययन करके लिखित रिपोर्ट देना।
  • टाइटल सर्च: संपत्ति का पिछला रिकॉर्ड और विवाद की स्थिति जानना।
  • रजिस्ट्री प्रक्रिया में सहयोग: रजिस्ट्रेशन ऑफिस में आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करना व जमा करना।

इस तरह जब आप किसी योग्य अधिवक्ता से सभी जरूरी कागजात की जांच करा लेते हैं, तो आगे चलकर प्रॉपर्टी से जुड़ी किसी भी कानूनी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप निश्चिंत होकर अपना घर खरीद सकते हैं।